karm bada ya bhagya

Karm bada ya bhagya

Karm bada ya bhagya

Karm bada ya bhagya – कर्म बड़ा या भाग्य। इंसान के जीवन में सब दिन एक से नहीं होते। हर दिन एक चुनौती या अवसर होता हैं। हम अपनी बुद्धि , एकाग्रता और प्रबल इच्छाशक्ति की मदद से असंभव काम को भी संभव बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन कभी कभी भरसक प्रयासों के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती। 

आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी की “प्यासा कुएं के पास आता हैं कुआँ प्यासे के पास नहीं आता “। इस कहावत का अर्थ है की अगर हमें ज़रूरत है तो हमें ही अपने काम के लिए आगे आना पड़ेगा। 

लेकिन, इस कहावत का एक अर्थ यह भी है की हमें ही कर्म करना होगा। चलिए एक प्रचलित कहानी से समझते हैं। 

गौरा – महादेव और मेहनती किसान  

बहुत पहले की बात है एक गांव में भयंकर  सूखा पड़ा। सूखे की मार इतनी तगड़ी थी की लोग त्राहि त्राहि कर रहे थे। जन, जानवर , पशु, पक्षी सब लोग रोज़ाना मृत्यु का शिकार हो रहे थे। 

किसी को कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।  लोगो ने अपना जीवन बचाने के लिए गांव  से पलायन करना शुरू कर दिआ। अपना घर, जमीन, जानवर सब छोड़ के जाना पड़ा।

Karm bada ya bhagyaसूर्य देव को प्रसन्न किया। 

लेकिन कुछ लोगो अभी भी आस नहीं छोड़ी और उन्होंने सूर्य देवता को प्रसन्न करने की सोची। बहुत अथक प्रयासों के बाद सूर्य देव प्रकट हुए लेकिन उन्होंने कोई भी सहायता करने से मना कर दिआ। 

मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता इस गांव के भाग्य में सूखा लिखा है। विधि के विधान के अनुसार जो होगा वो अच्छा ही होगा। 

 

इंद्रा देवता को प्रसन्न किया 

किसानों ने हार नहीं मानी और सोचा की देवराज इंद्र को प्रसन्न किया जाए। दिन – रात , कड़ी धूप में यज्ञ अनुष्ठान किये गए और बढ़ी मुश्किल से इंद्रा देवता प्रसन्न हुए। 

लेकिन इंद्र देवता ने भी मना कर दिआ। 

मैं आप लोगों की कोई सहायता नहीं कर सकता। मैं विधि के विधान के आगे मजबूर हूँ , इस गांव पर श्राप है की 10 साल तक सूखा रहेगा । और इस गांव के भाग्य में यही लिखा है। 

लेकिन मुझसे आप की स्थिति देखी नहीं जा रही। क्यों नहीं आप महादेव को प्रसन्न करें ? अगर भगवान् शंकर अपना डमरू बजा देंगे तो यह श्राप हट जाएगा , और मैं तुरंत घनघोर बारिश कर दूंगा। 

मेहनती किसान 

गांव के किसान हार मान चुके थे। उन्होंने मान लिया था की अब कुछ नही  होने वाला। सब लोगो ने पलायन करने की सोची , लेकिन सब में से एक किसान अपना हल, फावड़ा आदि लेकर खेत की और चल पड़ा। Karm bada ya bhagya

गांव वाले :अरे तू कहाँ जा रहा है। 

मेहनती किसान: मैं तो रोज़ की तरह अपने खेत पे काम करने जा रहा हूँ। 

गांव वाले :रोज़ जा रहा था?  सूखे में मरना है क्या ? पता है की जब कुछ नहीं होगा। अब तो स्वयं सूर्य  देव, इंद्र देव भी कह गए की यह गाँव शापित है। 

मेहनती किसान: कुछ भी हो मुझे अपना कर्म तो करना ही है। मैं किसान हूँ, ये मेरा काम है, यह नहीं करू तो क्या करूँ। 

इस बात पर गांव वाले किसान को पागल बोलकर चले गए। 

महादेव प्रकट हुए

Karm bada ya bhagyaकिसान हर दिन आता और अपना काम करके , रूखी सुखी खा कर सो जाता। थोड़ा बहुत अपनी  दिनचर्या के अनुसार पूजा पाठ भी करता था। ऐसा करते देख भगवान शंकर को विश्वास हो गया की यह पागल तो नहीं है फिर यह खेत पे क्या करने जाता है।

एक दिन भगवान् से रहा नहीं गया और वो एक ऋषि का रूप लेकर किसान की पास आये।

महादेव ऋषि के रूप में : अरे, किसान भाई तुम यह क्या कर रहे हो। बंजर मिटटी में मेहनत करके क्या होगा ?

किसान: हे ऋषिवर , आपको सादर प्रणाम। आप सही कह रहे हैं। लेकिन मुझे यही काम आता है। मैं किसान हूँ। गांव पर 10 साल का श्राप है। मैं 10 साल तक रूखी सूखी खाकर , कम खाकर अपना जीवन व्यतीत कर लूंगा लेकिन अगर 10 साल तक खेती नहीं करी और किसानी भूल गया तो मेरा क्या होगा।

महादेव का डमरू

Karm bada ya bhagya
किसान की बात सुनकर भगवान् शिव शंकर वापस कैलाश आ गए। लेकिन सोच में पड़ गए –

गाँव पे लगे श्राप के अनुसार 10 साल तक गाँव में सूखा रहेगा , और तब तक डमरू भी नहीं बजेगा। अगर मैं 10 साल के बाद डमरू बजाना भूल गया तो?

और देवों के देव महादेव ने डमरू बजा दिआ। डमरू बजते पूरे गाँव झमाझम बारिश से नहा उठा। श्राप हमेशा के लिए हट चुका था। गाँव वाले अपनी खेत , अपने घर वापस आ चुके थे।

Karm bada ya bhagya

आज कर्म की जीत हुई। लेकिन अगर गौर करें सिर्फ निष्ठा और मेहनत करना ही मनुष्य के बस में है। इसलिए भाग्य में क्या है यह हमें भगवान् के पर  छोड़ देना चाहिए। निरंतर अपना काम और भगवान् की भक्ति में समय व्यतीत करना चाहिए। 

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इस ब्लॉग पर मेरी प्रिय पोस्ट यह है। आशा है की आपने ज़रूर पढ़ी होगी। 

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