भारत के 10 सबसे बड़े घोटाले।
Nirav Modi और PNB घोटाला
Nirav Modi घोटाले में बैंक कैसे फंसा ?
Nirav Modi हीरों के आयात और निर्यात (Import और Export) का काम करता था। इन हीरों की कीमत लाखों करोड़ों में होती है। इतने सारे पैसों के लेनदेन में दोनों विक्रेता और ग्राहक को डर रहता है। ग्राहक को डर रहता है कि पैसा दे दिया और हीरे ना मिले तो क्या होगा। उसी तरह विक्रेता को डर रहता है कि अगर हीरे दे दिए और पैसा ना मिला तो फिर क्या होगा। इन हीरों की कीमत लाखों-करोड़ों में होती है ग्राहक के पास हमेशा इतना पैसा नहीं होता। और होता भी है तो ग्राहक अपना इतना सारा पैसा साथ किसी को देना उचित नहीं समझता। इस समस्या को सुलझाने के लिए बैंक ग्राहक और विक्रेता की मदद करता है। बैंक इन दोनों के बीच में बिचौलिए का काम करता है।
बैंक के पास Buyer’s credit और LOU (Letter of Undertaking) नाम की सुविधाएं होती है। बैंक अपने ग्राहकों को यह सुविधा है कुछ कमीशन लेने के बाद इस्तेमाल करने देता है।
Buyer’s Credit क्या होता है ?
यह एक कम अवधि वाली एक ऋण सुविधा है जो एक विदेशी ऋणदाता द्वारा एक आयातक (Nirav Modi) को दी जाती है। आयातक (Nirav Modi), जिसे ऋण जारी किया जाता है, माल का खरीदार होता है, जबकि निर्यातक विक्रेता (विदेश में हीरे का व्यापारी) होता है।अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में Buyer’s Credit काफी समय से चलन में है। वह इसलिए क्योंकि यह आयातकों को अपने देशी स्थानीय बैंक की तुलना में सस्ते ब्याज पर ऋण देता है। जैसे ही आयातक को अपना सामान मिल जाता है विदेशी बैंक विदेशी विक्रेता को उसका पैसा दे देता है। क्योंकि Buyer’s Credit एक अल्पकालिक ऋण है तो ग्राहक को अपना समान मिलने पर यह ऋण चुकाना होगा।
LOU (Letter of Undertaking) क्या होता है ?
हजारों करोड़ों रुपए का लोन (Buyer’s credit) इतनी आसानी से नहीं मिल पाता। इसके लिए ग्राहक को अपने स्थानीय बैंक की ब्रांच में Buyer’s credit के लिए आवेदन करना होगा । और खरीदारी से संबंधित सभी दस्तावेज दिखाने होंगे। जैसे कि हीरों का बिल आदि। इसके साथ ही स्थानीय बैंक आपकी credit history, आप की प्रॉपर्टी और लोन चुका पाने की क्षमता की जांच करता है। और बिल्कुल आश्वस्त हो जाने पर ही विदेशी बैंक से आपके लिए Buyer’s credit का अनुरोध करता है।
आयात और निर्यात के लिए सही बैंकिंग परिक्रिया क्या है ?
स्थानीय भारतीय बैंक प्रक्रिया शुरू होने के पहले ही आयातक की प्रॉपर्टी के कुछ कागज अपने पास गिरवी रख लेता है। ताकि भविष्य में अगर आवेदनकर्ता यह ऋण चुका पाने में असमर्थ हो जाता है, तो उस प्रॉपर्टी को बेचकर ऋण की उगाही की जा सके। स्थानीय बैंक में Buyer’s credit (लोन ) के लिए आवेदन वाली पार्टी की जांच पड़ताल और बिलकुल आश्वस्त होने के बाद , स्थानीय बैंक विदेशी बैंक को LOU दे देता है। यह LOU एक लिखित आश्वासन (गारंटी ) है की विदेशी बैंक को हर हालत में पैसा ब्याज समेत वापस किया जाएगा। चाहे स्थानीय भारतीय बैंक को वह पैसा आयातक की प्रॉपर्टी बेचकर मिले या बैंक अपनी जेब से दे या आयातक ईमानदारी से पैसा चुका दे।इतना सब कागजी और कानूनी परिश्रम के बदले स्थानीय भारतीय बैंक कुछ कमीशन लेता है। विदेशी बैंक और स्थानीय बैंक एक ही बैंक हो सकते हैं और अलग-अलग भी हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए:
- PNB की ब्रांच भारत में और PNB की ब्रांच विदेश में। या फिर
- PNB की ब्रांच भारत में और एक्सिस बैंक की ब्रांच विदेश में।
विदेशी बैंक Buyer’s credit देता है। और स्थानीय बैंक, विदेशी बैंक से आयातक को Buyer’s credit लेने में ग्राहक की मदद करता है।
SWIFT सॉफ्टवेयर
विदेशी बैंक LoU मिल जाने पर एक बहुत ही सुरक्षित बैंकिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से ग्राहक (आयातक ) को Buyer’s Credit दे देते हैं। इस सुरक्षा सॉफ्टवेयर को SWIFT (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunications) कहते हैं। यह सॉफ्टवेयर सिर्फ बैंकिंग प्रणाली को सुरक्षित करने के लिए ही बनाया गया है। और बैंक इसको आपस में संदेशों आदि के आदान-प्रदान के लिए इस्तेमाल करते हैं।
Nostro खाता
जितने पैसे के लोन के लिए आवेदन किया गया था वह सारा पैसा विदेशी बैंक ग्राहक को नहीं देता है। बल्कि यह पैसा ग्राहक के एक खास खाते में जमा हो जाता है। इस खाते को Nostro खाता कहते हैं। इस Nostro अकाउंट में पैसा आते ही PNB इस पैसे को निर्यातक (Exporter – जिस से Nirav हीरे खरीदता था) को दे देता है।
PNB की गलती
- बिना कोई पैसा या प्रॉपर्टी गिरवी रखे PNB ने लोन (Buyer’s Credit) दे दिया।
- जब भी कोई बैंक LoU जारी करेगा तो वह उसको बैंक के CBS (Core Banking System) में ज़रूर लिखता है। लेकिन PNB के इन अधिकारियों ने CBS में entry नहीं करी।
- तीसरी गलती, PNB की ब्रैडी हाउस, मुंबई शाखा जब हांगकांग में स्थापित Axis बैंक और Allahabad बैंक को Buyer’s Credit देने के लिए SWIFT से निर्देश देते थे । यह स्विफ्ट सॉफ्टवेयर हमेशा ब्रांच के CBS (Core Banking System) सिस्टम से जुड़ा होता है। लेकिन PNB के केस में ऐसा नहीं था। SWIFT सॉफ्टवेयर CBS से जुड़ा हुआ नहीं था।
PNB पहले भी ऐसी गलती कर चुका है।
नीरव मोदी द्वारा धोखा देने से पहले भी PNB ने कई बार कई घोटालों में अपने पैसे गँवाय हैं। एक RTI के अनुसार, साल 2013 से 2018 तक पीएनबी ने लगभग 6500 करोड का पैसा घोटाले में गँवा दिया। इस दौरान कुल 389 घोटाले हुए थे । और अब इसमें नीरव मोदी के घोटाले को मिलाकर यह रकम लगभग 20000 करोड बन जाती है। नीरव मोदी की तरह Winsome Group का मालिक भी PNB का 1800 करोड़ दिए बिना भाग गया था।
घोटाले का पर्दाफाश
साल 2018 में पीएनबी के भ्रष्ट अधिकारियों में से एक का रिटायरमेंट हो चुका था और उसकी जगह एक दूसरा अधिकारी वहां आ गया था । इस बीच नीरव मोदी की कंपनी को फिर से Buyer’s Credit की जरूरत पड़ी।और उन्होंने अपने हमेशा से चलते आ रहे तरीके के अनुसार फिर से उन अधिकारियों को Buyer’s Credit देने के लिए कहा। नए अधिकारी ने खरीदारी से सम्बंधित सभी दस्तावेज, पैसा या प्रॉपर्टी गिरवी रखने के लिए कहा। लेकिन नीरव मोदी की कंपनी के कर्मचारियों ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि हम पहले भी बिना कोई चीज गिरवी रखे Buyer’s Credit ले चुके हैं। इस पर नए अधिकारी को शक हो जाता है और वह जांच शुरू कर देता है।जाँच के बाद पता लगता है कि पिछले कई सालों से कई फर्जी LoU जारी किए जा रहे थे। वह भी बिना CBS में एंट्री किये । इस जांच के दौरान PNB के उस अधिकारी को यह भी मालूम पड़ा कि Nirav Modi की कंपनी ने जिस विदेशी ब्रांच से Buyer’s Credit लिया था उसको उसने पैसा वापस नहीं किया है।मतलब 2011 से जितने भी LoU जारी हुए उनमें से एक का पैसा भी वापस नहीं किया गया और ऐसे में वह पैसा अब PNB की जिम्मेदारी बन गया है। PNB के अधिकारी ने तुरंत CBI में नीरव मोदी उसकी पत्नी एमी मोदी, भाई निशाल मोदी और मामा मेहुल चौकसी के खिलाफ केस दर्ज कर दिया।
CBI कोई कार्यवाई करे उसके पहले ही देश छोड़कर भाग गए।
लेकिन घोटाले का पर्दाफाश होने से पहले ही जनवरी 2018 में, नीरव मोदी, उसकी पत्नी, उसका भाई और मामा सब देश छोड़कर भाग जाते हैं। यहां तक कि नीरव के मामा मेहुल चौकसी ने भारत की नागरिकता भी छोड़ दी है। और एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता लेकर वहीं रह रहा है। अपने मामा की तरह नीरव मोदी भी विदेश भाग गया उसने लंदन जाकर शरण ली। भारत सरकार द्वारा लंदन की सरकार पर दबाव बनाने के बाद नीरव मोदी को लंदन के वैंड्सवर्थ जेल में डाल दिया गया। भारत सरकार ने नीरव मोदी को उन्हें सौंपने के लिए UK की सरकार से अपील करें।लेकिन नीरव मोदी ने भी UK के उच्च न्यायालय में अपील करी कि उसे भारत सरकार को न सौंपा जाए। लेकिन 23 जून 2021 को, UK के एक उच्च न्यायालय ने आवेदन को खारिज कर दिया। और अब Nirav Modi का भारत आना तय लगता है।
Nirav Modi के अलावा घोटाले के बाकी दोषी कहाँ हैं ?
नीरव मोदी का भाई निशाल मोदी इस वक्त बेल्जियम में है। निशाल मोदी अंबानी परिवार से भी रिश्ते में है। अनिल और मुकेश अंबानी की भांजी इशिता सलगांवकर निशाल मोदी की पत्नी है।
Nirav Modi की पत्नी Ami Modi को अंतर्राष्ट्रीय पुलिस (International Police) द्वारा Red Corner Notice दे दिया है। इस नोटिस का मतलब है की अपराधी आम इंसान की तरह घूम फिर नहीं सकता/सकती।
मामा, मेहुल चौकसी को एंटीगुआ और बारबुडा की सरकार ने पकड़ लिया है। और शायद भारत को सौंपने के लिए तैयार हैं।
घोटाले का पैसा अब कहां है ?
15 फरवरी 2018 को Enforcement Directorate (ED) ने, नीरव मोदी के घर ऑफिस और दुकानों पर रेड मारकर ₹5100 करोड़ की सम्पति जप्त कर ली है। मामा मेहुल चौकसी की कंपनी गीतांजलि ग्रुप का भी इस रोड में इस घोटाले में नाम है।इसलिए उसकी दुकानों आदि पर रेड पड़ी थी।Nirav Modi और PNB घोटाले, का निष्कर्ष।
ऐसा प्रतीत होता है की PNB जानबूझ कर घोटालों में साथ दे रहा है। लेकिन सरकार हमेशा PNB को बचाते रही है। अक्टूबर 2017 में सरकारी बैंकों को बचाने के लिए सरकार ने 2 लाख करोड़ सरकारी बैंकों को देने का वायदा किया।
जिसके पहले भाग में 5473 करोड़ सिर्फ पीएनबी को मिलने वाले थे। साल 2011 से लेकर साल 2014 तक कांग्रेस की सरकार थी और 2014 से लेकर 2018 तक बीजेपी की सरकार थी। इन घोटालों में हमारी सरकारों की कितनी भूमिका है यह कहना मुश्किल होगा।
लेकिन जिस तरह से आज की सरकार इस मुद्दे की गंभीरता को समझ रही है और लगातार UK की सरकार से बात करके प्रत्यर्पण की बात कर रही है। उसे लगता है कि सरकार इस तरह के घोटालों के लिए सख्त कदम लेने के लिए प्रेरित है।