Learn to say no

learn to say no

Learn to say No,​ ना कहना सीखें। 

Learn to say No. ना कहना सीखें। सुनने में कितना आसान लगता है और हम सोचते होंगे की हम नकारत्मकता के साथ क्यों जाएं। ज़िन्दगी में हाँ कहना सीखना चाहिए। कितने सारे लोग मिलेंगे, कितने सारे अवसर , चुनौतियां आदि , अगर हम ना कहना सीख लेंगे तो इन् सबको कैसे पाएंगे। हम पीछे रह जाएंगे। लेकिन हम एक बात भूल जातें हैं की जैसे ही हम किसी भी बात के लिए हाँ कहते हैं तो उसके साथ आ जाती हैं ढेर सारी ज़िम्मेदारियाँ। 

जिस इंसान को हमने हां बोला है वो हमसे ढेर सारी उम्मीदें लगा लेता है। क्युकी हाँ शब्द का दायरा बहुत बड़ा है। यह सही तरीके से परिभाषित नहीं हो पाता है की हाँ कहने के बाद भी हम क्या करना चाहते हैं और क्या नहीं।

Depression, Stress and Failure

हम चाहते हैं की कोई हमसे दूर न हो जाए। 

कही वो हमसे रूठ न जाए। 

कही किसी को ऐसा न लगे की मैं घमंडी हूँ। 

उसने मेरे कितने काम किये मुझे भी उसकी मदद करनी चाहिए। 

कहीं वो मुझे नौकरी से न निकाल दे। 

इन्ही सभी कारणों की वजह से हम ना कहने से कतराते हैं और दूसरे लोगो की इच्छाओं को पूरा करने में लग जाते हैं। यह सोचे बिना की “हमारे ऊपर कितना भार बढ़ जाएगा” “हम कहीं अवसाद के शिकार न हो जाएं” आदि। यही नहीं हम कभी कभी हाँ कह देते हैं लेकिन उस काम को पूरा नहीं कर पाते और विफल हो जाते हैं। जो की हमारे लिए और उस व्यक्ति के लिए नुक्सान की बात है। 

“किसी कठिन काम को करना”, “चुनौती स्वीकार करना”, “पीछे नहीं हटना” और “कभी हार नहीं मानना” यह सभी इसलिए ताकि हम हो सके लेकिन जब ज़िन्दगी में भार इतना बढ़ जाएगा की हमें नींद की , अवसाद की और घबराहट की दवाइयां खानी पड़ें तो क्या इन् सभी का वाकई कोई फायदा है। 

Learn to say no

My ordeal | मेरी आपबीती 

मुझे ऑफिस मेहनत और निष्ठा से काम करते देख मेरे साथी हस्ते थे। मुझे विवश करते थे की मैं अपनी कुर्सी से कुछ देर के लिए उठ जाऊं सभी से बात करूँ, बाहर चाय पीने जाऊं।लेकिन मुझे अपने मालिक को प्रभावित करना , उनका प्रिय बनने का जूनून सवार था। हालाँकि काम सब करते थे लेकिन बाकि सब लोग मेरी तरह नहीं थे। मैं सिर्फ “हाँ सर” कहना जानता था। दिन में काम, फिर रात को घर जाकर काम।  

शादी के बाद और भी ज़िम्मेदारियाँ बढ़ गई।

एक साल बाद मेरी शादी हो गई , शादी के लिए भी मैंने सिर्फ 5 दिन की छुट्टी ली। लेकिन कंपनी की पॉलिसी के अनुसार यह 15 दिन की होती है। शादी के बाद भी मैं इसी तरह काम में मगन रहा लेकिन यह भूल गया की मेरे पास और भी ज़िम्मेदारी आ गई हैं। मेरी वाइफ ने मुझे support किया और ज़्यादा कुछ नहीं बोला। शादी के कुछ साल बाद बच्चा भी हुआ और भी ज़िम्मेदारियाँ आ गई लेकिन मैं काम उसी तरह करता रहा। लेकिन अब मैं चीड़ चिड़ा हो रहा था , कम सो पाता था , मोटापा बढ़ रहा था। कभी कभी पिताजी ने समझाने की कोशिश करी लेकिन कोई फायदा नहीं। मैंने सोचा भी की चलो घूमना और कसरत करना शुरू करते हैं लेकिन कुछ नहीं कर पाया। नतीजा यह निकला की मैं anxiety और दिल की बीमारी से ग्रस्त हो गया।

मैं घर से काम कर रहा था। मेरा बेटा मेरे पास सो रहा था। AC के चलते हुए भी मुझे गर्मी और घुटन का एहसास हो रहा धीरे धीरे बेचैनी बढ़ी और हल्का दर्द जैसा महसूस हुआ। मुझे लगा की मुझे पानी पी लेना चाहिए मैंने फ्रिज खोला लेकिन वही गिर पड़ा। मेरे पिताजी और पत्नी भागते हुए आये पास के अस्पताल ले गए। वहां जाकर हमें बताया की हार्ट अटैक था। इतनी कम उम्र में ऐसा होना किसी को विश्वास नहीं हो रहा था।

Learn to say no

I didn’t say No | मैंने ना नहीं कहा

यह कहना की  ऑफिस के काम की वजह से हार्ट अटैक आ गया यह उचित नहीं होगा। हालाँकि यह सभी कारणों में से एक कारण था। मेरी ऐसी हालत की वजह थी की मैं सबको खुश रखना चाहता था। मैं चाहता था की किसी दिल मेरी वजह से न दुखे। लेकिन मेरे पास बहुत ज़िम्मेदारियाँ थीं :
  1.  प्रमोशन
  2. परिवार – पत्नी , बच्चे
  3. माँ – बाप
  4. दोस्त (इनको तो मैं लगभग भूल ही गया था )
  5. पैसा कमाना , निवेश करना , आदि
लेकिन मैंने ना तो कभी ज़िम्मेदारी सौंपी और ना ही कभी ना बोला। यहाँ मैं बहुत बेवकूफ साबित होता दिख रहा हूँ लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है। वास्तव में “ना” कहना बहुत मुश्किल है ,क्युकी कोई भी ना नहीं सुनना चाहता। चाहे वह बच्चा हो या बूढ़ा।
लेकिन अब मैं जान चुका हूँ और आपसे भी साझा करना चाहता हूँ।
Learn to say no

Learn to say no to your boss

अपने मालिक को न नहीं कहना चाहिए।क्युकी अगर आप न बोल देंगे तो इसके कई मतलब हो सकते हैं।

  1. आप काबिल नहीं हैं।
  2. आपको काम नहीं आता। 
  3. आप काम करना नहीं चाहते। 
  4. आपने कही और नौकरी ढूंढ ली है। 
  5. आप मालिक से नाराज़ हैं , – तनख्वाह की वजह से , प्रमोशन की वजह से, आदि। 
Learn to say no

अपने काम को विवरण और उसे पूरा करने की योजना पहले ही साझा करदें।

इसके लिए आप मालिक से या अपनी टीम से सुबह ही बात कर ले की

learn to say no

और बता दें की आपकी क्या दिनचर्या दिनभर में होने वाली है। क्या आप कर पाएंगे और क्या नहीं। जो नहीं कर पाएंगे उसके लिए पहले ही कारण सोच कर रख लें। बहुत से लोगो को चीज़ें तथ्यों और नंबरों में देखनी पसंद होती है और आसानी से समझ आती है। कुछ लोगो को सिर्फ सीधी और ईमानदार वास्तविक बात पसंद होती है। उनसे आप कह सकते की किस कारन से आप काम नहीं कर पाएंगे या उस काम की भरपाई आप किसी और दिन पूरा कर लेंगे। कितने वक्त में यह काम हो जाएगा। 
 
ध्यान रहे आप का मालिक आपकी परीक्षा ले सकता है। यह जानने के लिए की आपकी याचना जायज़ है की नहीं आपकी याचना ठुकरा सकता है ऐसे में आपका आपकी योजना पे कायम रहना ज़रूरी हो जाता है नही तो मालिक समझेगा की आपको कोई ज़रूरत थी ही नहीं। उदहारण – आपको दो दिन की छुट्टी चाहिए लेकिन मालिक ने आपको एक ही दिन की छुट्टी लेने को कहा तो आप सीधे मन करदे अपनी कारणों के साथ और दो ही दिन की छुट्टी मांगे। 

Learn to say no to your parents

आपके और आपके माँ बाप के बीच जो उम्र का अंतर वह एक बहुत बड़ा कारण हो सकता हैं की उनको आपकी बात समझ न आये।learn to say no

वह अपने आपको को कमज़ोर और असहाय समझने लगते हैं और आपसे उम्मीद रखते हैं की आप उनकी मदद करेंगे। उनकी नज़र आप आप बहुत ऊर्जावान हैं और बहुत कुछ कर सकते हैं। जो की बहुत हद्द तक सच और हमें अपने माँ बाप की सेवा करनी भी चाहिए लेकिन आप कभी अगर ऐसी स्थिति में आ जाए की आपके पास बहुत काम है और आप अपने माँ बाप की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं पे खरे नहीं उतर सकते, तो आपको उन्हें ना कहना ही होगा।

Learn to say no

कैसे समझाएं अपने माँ बाप को। 

  1. कभी भी उनके सामने अपनी मज़बूरी लेकर न जाएं। क्युकी उनसे ज़्यादा असहाय इस वक्त शायद कोई न हो। तो वो आपकी मज़बूरी को कुछ नहीं समझेंगे। उन्होंने आपको इतना बड़ा किया , कितने कष्ट सही होंगे, तो आपके कष्टों को कुछ नहीं समझेंगे। उन्होंने उम्मीद लगाई होगी की वक्त पर, बुढ़ापे में आप उनकी मदद करेंगे। इसके लिए आप उनको शुरू से ही अपने काम के बारे में थोड़ा थोड़ा बताएं। ताकि वो आपके काम की गंभीरता को समझे। 
  2. अपनी ख्वाहिशों को उनसे साझा करें। क्युकी आपकी ख़ुशी ही उनके लिए सब कुछ है। 
  3. उन्होंने अपनी ज़िन्दगी जी ली है , अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करदी हैं। अब वो आपको कामयाब होते देखना चाहते हैं। इसलिए अपनी चुनौतियां , रुकावटें और अवरोध उनसे साझा करें। 

इन सभी तथ्यों के साथ अगर आप उनसे ना करेंगे तो वो ज़रूर समझेंगे।  

Me, Myself and I

Learn to say no to yourself

मित्रों, आप एक बात हमेशा ध्यान रखें की आप के लिए आपकी सेहत हे सबसे ज़्यादा जरुरी। अगर किसी की सलाह काम नहीं आ रही है तो अपने दिल की सुने और “ना” कहना सीखें steam locomotive, driving axle, pivot-1290589.jpgयह सोचे बिना की किसी को कैसा महसूस होगा। आप बिलकुल भी स्वार्थी महसूस न करें। क्युकी आप अपनी ज़िम्मेदारी तभी निभा पाएंगे जब आप स्वस्थ होंगे। 

 

आप एक केंद्रबिंदु (pivot ) की तरह हैं, आप ही अगर नहीं होंगे तो बाकि पुर्जे सही से चल नहीं पायंगे। आपने अगर सही निर्णय लिया तो भी आप ज़िम्मेदार होंगे और अगर गलत निर्णय लिया तो भी आप ही ज़िम्मेदार होंगे। अगर आपका स्वास्थ ठीक होगा तो आपको अनेको अनेक अवसर मिलेंगे अपने रिश्ते सुधारने के लिए लेकिन अगर आप का स्वास्थ ही ठीक नहीं होगा तो रिश्ते और जीवन दोनों से हाथ धो बैठेंगे। 

Learn to say no

Learn to say no to yourself

आजकल लोग कहते हैं की “push your limits” लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है , किसी को नहीं पता। हमारी सीमा क्या है , हम कितना बर्दाश्त कर सकते हैं। हम सब कुछ पाने की होड़ में बहुत कुछ खो देते हैं। 

  1. शरीर को आराम दीजिये। [bctt tweet=”बच्चो को 12-15 घंटे , युवा को 8-9 घंटे और वृद्ध को कम से कम 6-7 घंटे की अच्छी नींद ज़रूरी है।यह आंकड़े आप यहाँ देख सकते हैं”] https://www.cdc.gov/sleep/about_sleep/how_much_sleep.html यह वेबसाइट अमेरिका के प्रतिष्ठित डॉक्टर्स के द्वारा प्रमाणित आर्टिकल ही प्रकाशित करती है। 
  2. कोशिश करें की आप उगता सूरज देखें , चाहे बाद में सोकर अपने नींद के घंटे पूरे करले। 
  3. अपने शौंक को समय दें , चाहे कोई कुछ भी सोचे। 
  4. अपने प्रिय गाने , मूवी या खेल देखें। 
  5. अपना timetable बनाये ताकि आप किसी को न कहने से पहले खुद जान सकें की आप उस समय कहाँ समय बिताएंगे। 
आप केवल अवसाद को रोक सकते हैं लेकिन इसका इलाज नहीं कर सकते।

आजकल हज़ारों तरह के उपचार , अनेकों दवाइयां और योग कक्षाएं चल रही हैं लेकिन कोई भी अवसाद से बचने का आश्वासन आपको नहीं दे सकता। आपके अंदर चल रहीं बातें , चिंता , ज़िम्मेदारी आपको ठीक से सोचने, समझने नहीं देती। अवसाद और चिंता ही आजकल सबसे घातक बीमारी है। यह बीमारी आपको जाँच के द्वारा नहीं पता लगेगी क्युकी यह बीमारी हार्ट अटैक, मोटापा, आदि के रूप में सामने आती है। लेकिन हम इसको कभी जान नहीं पाते। और यह हमारे शरीर में , दिमाग में हमेशा के लिए जगह बना लेती है। 

 [bctt tweet=”prevent depression, you can’t cure it“]

क्या आप भी अपने ऑफिस या परिवार में किसी समस्या से जूझ रहे हैं ? 

कृपया comment बॉक्स में लिखकर बताएं। 
Please share | कृपया शेयर करें।

1 thought on “Learn to say no”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *